पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कई गठबंधन का निर्माण हो चुका है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू, बीजेपी, हम, और वीआईपी पार्टी चुनाव लड़ रही है जबकि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के चेहरे पर आरजेडी, कांग्रेस और वाम दल चुनाव में जा रही है. तीसरे मोर्चे का नेतृत्व रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा कर रहे हैं जो सीएम कैंडिडेट भी हैं. जबकि चौथे गठबंधन का कमान पप्पू यादव के हाथ में है. इसी बीच एक न्यूज चैनल के सर्वे ने सियासी दलों में हड़कंप मचा दिया है.
पहले चरण के चुनाव से ऐन वक्त पहले टाइम्स नाउ और सी-वोटर्स का सर्वे सामने आया है. जिससे संकेत मिल रहे हैं कि बिहार में फिर से नीतीशे कुमार सीएम की कुर्सी पर काबिज होंगे. इस बार उनका सीधा मुकाबला नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से हो रहा है. टाइम्स नाउ और सी-वोटर्स के सर्वे में महागठबंधन को सिर्फ 76 सीटें मिलती दिख रही हैं. वहीं, सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले चिराग पासवान को कोई खास सफलता मिलती नहीं दिख रही है.
बहुमत की तरफ एनडीए
इस सर्वे की बात करें तो एनडीए को एनडीए को 160 सीट मिलती दिख रही है. जिसमें बीजेपी के खाते में 85 जबकि जेडीयू के खाते में 70 सीट जबकि दूसरे सहयोगी दलों को मात्र 5 सीट पर सफलता मिलती दिख रही है. आरजेडी को 56, कांग्रेस को 15 और वाम दलों को 5 सीट मिलती दिख रही है.
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अगर हम वोट शेयरिंग की बात करें तो एनडीए को जहां, 48.2 फीसदी वोट शेयर जा रहा है वहीं, महागठबंधन का वोट प्रतिशत 36 तक पहुंच रहा है. अगर बात करें एलजेपी का तो उसके खाते में 6.7 फीसदी वोट शेयर हो रहा है. वहीं, अन्य के खाते में 9.1 फीसदी वोट शेयर हो रहा है.
Bihar politics is all about arithmetic: @YRDeshmukh, Founder & Chief Editor C-Voter, tells Navika Kumar on @thenewshour. | #BiharOpinionPoll #Nov10WithTimesNow pic.twitter.com/L2H63aQzlP
— TIMES NOW (@TimesNow) October 12, 2020
एलजेपी का बढ़ेगा वोट प्रतिशत
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव एलजेपी एनडीए में रहकर मात्र 2 सीट ही जीत पाई थी. इस दौरान एलजेपी को कुल 4.8 फीसदी वोट मिले थे. हालांकि, इस बार टाइम्स नाउ और सी-वोटर्स के सर्वे में एलजेपी का वोट प्रतिशत बढ़कर 6.71 फीसदी होने का अनुमान है. इस ओपिनियन पोल के अनुसार चिराग को 2 फीसदी वोटों का फायदा होता दिख रहा है.

एलजेपी को मिलेगा सहानुभूती
नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले चिराग पासवान पहली बार अपने बूते चुनावी मैदान में उतरे हैं. सीधे-सीधे वह नीतीश कुमार को चुनौती देकर सियासत में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. चुनावी मौसम में चिराग के पिता का निधन होने से चुनावी तैयारियों पर भी असर जरुर पड़ा है. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि कुछ सीटों पर एलजेपी को सहानुभूति का फायदा भी मिल सकता है.
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